शनिवार, मई 14, 2011
सोमवार, मई 02, 2011
गाँव से बड़े शहर
गाँव से बड़े शहर, लेकर आया था सपने,
ज्यादा लोगो ने दिखाए, कुछ ही थे अपने |
एक मित्र ने कहा और
करने लगा एक बड़ा course
जिसकी थी लाखो में फीस,
दिन रात की कड़ी मेहनत,
लगा कंप्यूटर देवता का नाम ही जपने |
साथ मुझे वहां अच्छा मिला,
पर कुछ को है मुझसे गिला,
एक कंपनी को मैं भाया, लगी मुझे लपकने |
मेहनत मेरी रंग लाई,
तनख्वाह नहीं जेब खर्चा देंगे,
बड़ी कम्पनी देख मुह में आया पानी,
कुछ ही दिनों में हकीकत जानी,
दिमाग में एक बात लगी खटकने |
15 सालों से कर रहे जो काम,
सभी ज्ञाता, पर किसी को नहीं है आराम,
ऐसे होतें है सपने पूरे !
मैं भी सपनों की चाहत में
कितना कुछ तज आया ,
तभी नौकरी छोड़ी,
और सपनों को साथ लिए चल दिया,
अपने सुंदर गाँव की ओर………
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